आज एक पोस्ट पढ़ कर एक बात दिमाग में आई, शिवराज पाटिल, प्रफुल पटेल, मनमोहन सिंह को तो जनता ने नहीं चुना था, क्या इन्होनें लोक सभा में विश्वास मत पर वोट दिया था? यह सब लोक सभा के सदस्य नहीं हैं और मतदान लोक सभा में हुआ था. यह सरकार में मंत्री हैं, मनमोहन सिंह तो प्रधान मंत्री हैं, पर लोक सभा को इस सरकार पर विश्वास है क्या ऐसा वोट यह सब
दे सकते हैं?
क्या कोई ब्लागर इस बारे में जानकारी दे सकते हैं?
6 comments:
लोकसभा में मत तो वही दे सकता है जो उसका सदस्य हो. इन लोगों को विश्वास मत में भाग लेने का अधिकार नहीं है.
घोस्ट बस्टर साहब बजा फरमा रहे हैं।
ghost buster ji se sahmat hai....
जी प्रधानमंत्री लोकसभा में थे लेकिन मत नहीं दिया था। आपको ध्यान होगा कि मत से ठीक पूर्व कुछ सदस्यों ने उनके वहॉं उपस्थित होने पर इसी आधर पर आपत्ति की थी (तर्क था कि दर्शक दीर्घा खाली करते समय ही गैर सदस्यों को भी सदन से बाहर जाने के लिए कहा जाना चाहिए) किंतु अध्यक्ष ने व्यवस्था दी कि प्रधानमंत्री सदन में रह सकते हैं पर जाहिर है मतदान नहीं कर सकते।
अच्छी चर्चा रही
जानकारी के लिए धन्यवाद. मैंने विश्वास मत पर बहस को नहीं देखा, बाद में उसके बारे में अखबार में पढ़ा. दिलचस्प कानून है. प्रधान मंत्री अपनी सरकार के पक्ष में विश्वास मत पर बहस में तो भाग ले सकता है पर वोट नहीं डाल सकता. मेरे विचार में प्रधानमन्त्री और मंत्री सिर्फ़ लोक सभा के सदस्यों को ही बनाना चाहिए. जनता द्बारा न चुना गया व्यक्ति कैसे भारत की सारी जनता का प्रतिनिधि हो सकता है? संविधान इसकी इजादियाजत देता है पर यह सही नहीं है. राज्य सभा की सदस्यता को रिश्वत देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. जिसे जनता ने हरा , या जिसे कोई फायदा देना है उसे राज्य सभा का सदस्य बना दिया जाता है. मेरे विचार में राज्य सभा की ही जरूरत नहीं है.
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