संविधान में जनता का जो कर्तव्य था वह उसने बखूबी निभाया. जनता ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया और अपने प्रतिनिधि चुन लिए. अब इन जन-प्रतिनिधियों को अपना कर्तव्य निभाना है.
पहला कर्तव्य है - जन-प्रतिनिधि यह न भूलें:
- कि वह जनता के प्रतिनिधि हैं, शासक नहीं,
- कि भारत एक प्रजातंत्र है, राजतन्त्र नहीं.
दूसरा कर्तव्य है - जन-प्रतिनिधि ऐसा कोई कार्य न करें:
- जिससे जनता को शर्मिंदा होना पड़े,
- संविधान का अपमान हो,
- कानून और व्यवस्था बिगड़े.
तीसरा कर्तव्य है - जन-प्रतिनिधियों के व्यवहार में:
- ईमानदारी, शुचिता, नेतिकता हो,
- गुटबंदी, जाति-धर्म-भाषा पर अलगाव न हो.
मुख्य कर्तव्य - जन-प्रतिनिधि स्वयं को जनता का ट्रस्टी मान कर कार्य करें. पाँच वर्ष बाद जब वह राज्य/देश का प्रबंध दूसरे जन-प्रतिनिधियों को सौंपें तब राज्य/देश में सर्वांगीण विकास नजर आए.