Sunday, August 10, 2008

यार चिंता क्यों करते हो?

नेता जी पिछले कुछ दिनों से परेशान थे। न ठीक से नींद आ रही थी। न ही ठीक से खा-पी पा रहे थे। गम सुम से बैठे रहते थे। घर वाले परेशान थे। डाक्टर को बुलाया गया। उस ने कहा मुझे नहीं ज्योतिषी को बुलाओ। चुनाव आ रहे हें। पाँच साल तक जनता के लिए कुछ न करने वाले खाऊ नेताओं को यह समस्या होती ही है। इस में कुछ असामान्य नहीं है।

ज्योतिषी को बुलाया गया। उस ने कहा चिंता की कोई बात नहीं है। आज कल यह बीमारी इन जैसे सभी नेताओं को हो रही है। आने वाले चुनाव में टिकट मिलेगा या नहीं, अगर मिल गया तो जीतेंगे या नहीं, यह चिंता सब को खाए जा रही है। लेकिन चिंता करने की जरूरत नहीं है। आख़िर हम ज्योतिषी किस लिए हें? वही पुरानी दवा काम आएगी। हर पार्टी के इन जैसे नेताओं की एक गोपनीय मीटिंग बुलाई जायेगी। उस में फ़ैसला किया जायेगा कि जो जीतेगा वह बाकी सब का ख्याल रखेगा। हर बार ऐसा हुआ है, इस बार भी ऐसा ही होगा। नेता-नेता मौसेरे भाई होते हें। और फ़िर जनता साली किसी को तो चुनेगी। उस के सामने रास्ता ही क्या है?

नेता जी कराहे और बोले कि समस्या इतनी आसन नहीं है जितनी आप समझ रहे हें। पिछली बार जो हारा था उस का मैंने कोई ख्याल नहीं रखा। टिकट तो मुझे मिलेगा नहीं, यह पक्का है। पार्टी मुझ से खुश नहीं है। और जनता, वह तो मुझे मारने को दौड़ रही है। अब जो भी जीतेगा तो वह मेरा ख्याल क्यों रखेगा?

'अब भुगतो', नेता जी की पत्नी चिल्लाईं, 'कितना समझाया मैंने, देखो बेईमानी में बेईमानी मत करो। चोरों के भी कुछ उसूल होते हें। जनता से तो विश्वासघात कर ही रहे हो, अपने साथी नेताओं से तो विश्वासघात मत करो। नेता ही नेता के काम आता है। पर यह माने ही नहीं'।

ज्योतिषी जी ने गर्दन हिलाई, 'भाभी जी ठीक कह रही हें। ऐसा आपने क्यों किया? अब तो मामला उलझ गया।बैसे मैं कोशिश करूंगा कुछ हो जाए'।

उस रात दूसरे नेता का फ़ोन आया। उसने कहा, 'यार चिंता क्यों करते हो, तुम ने राजनीति के सिद्धांतों का पालन नहीं किया पर हम तो करते हें। बस ऐसा करो, कल एक प्रेस काफ्रेंस बुलाओ और मेरे पक्ष में बयान दो। कहो कि तुम्हें टिकट नहीं चाहिए। में तुम्हारा ख्याल रखूंगा'।

नेता जी ने गर्दन हिलाई। और कोई रास्ता भी नहीं था। मरता क्या न करता। किसी ने सच कहा है, जनता को धोखा दे कर तो बच सकते हो, पर दूसरे नेता को धोखा देकर नहीं।

5 comments:

बालकिशन said...

गजब की सीख दी आपने नेताओं को.
आपका लेखन चमत्कृत कर देता है.
बधाई.

ek aam aadmi said...

wah sir ji, isko to tv par dikhana chahiye

Anil Pusadkar said...

wat laga di netaon ki aapne, badhai damdar lekhn ki

राज भाटिय़ा said...

चोरों के भी कुछ उसूल होते हें।बहुत सही कहा आप ने सुरेश जी,धन्यवाद

Udan Tashtari said...

बेईमानों की आपसी ईमानदारी खासी चर्चित है, ये नेता जी कैसे चूक गये.