Monday, July 21, 2008
जीते कोई भी, आम आदमी तो हार गया पहले ही
केन्द्र सरकार द्बारा विश्वासमत प्रस्ताव पर २२ जुलाई को मतदान होगा. इस में कौन जीतेगा और कौन हारेगा यह तो समय बतायेगा, पर आम आदमी तो प्रस्ताव रखने से पहले ही हार गया. और उस के साथ हार गई, ईमानदारी, व्यवहार में शुचिता और नैतिकता. आज़ादी के बाद प्रजातंत्र पर यह सबसे बड़ा आघात है. यह आघात उन लोगों द्बारा किया गया है जिन्हें जनता ने प्रजातंत्र के रखवालों के रूप में अपना प्रतिनिधि चुना था. जनता ने जिनमें अपना विश्वास प्रकट किया था कि वह ईमानदारी, व्यवहार में शुचिता और नैतिकता के आदर्श स्थापित करेंगे. आज उन्हीं लोगों ने जनता के साथ अभूतपूर्व विश्वासघात किया है. सबने ख़ुद को जनता के विश्वास के अयोग्य साबित कर दिया है. कोई फर्क नहीं है किसी में. बस लेबल अलग हैं. मेरे पास उन्हें कहने को बस इतना ही है - डूब मरो चुल्लू भर पानी में अगर कुछ भी इंसानियत तुममें बाकी है.
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