Thursday, January 29, 2009

अपराधियों को वोट मत दो, सरकार वोट कानून को बदले

अपराधियों के राजनीति में प्रवेश ने मतदाता के सामने, 'किसे वोट दें?', यह एक समस्या खड़ी कर दी है. अक्सर ऐसा होता है कि सभी उम्मीदवार किसी न किसी अपराध में शामिल होते हैं. मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहता है पर इन्हें अपना प्रतिनिधि  भी नहीं चुनना चाहता. मतदाता के सामने यह एक ऐसी मजबूरी है जिसका कोई समाधान नजर नहीं आता. 

वोट कानून के सेक्शन ४९(ओ) के अंतर्गत मतदाता यह निर्णय कर सकता है कि उसे किसी भी उम्मीदवार को मत नहीं देना, पर ऐसा करने पर उसका नाम गोपनीय नहीं रहता. उसे चुनाव अधिकारी को अपना यह निर्णय बताना पड़ता है और एक फार्म भी भरना पड़ता है जिसमें उसका नाम भरा जाता है और उस पर हस्ताक्षर भी करने होते हैं. चुनाव कानून ऐसे मतदाता के साथ भेद-भाव करता है. किसी को भी वोट न देने की प्रक्रिया को जटिल बना दिया गया है और उसमें गोपनीयता भी नहीं है. जबकि किसी उम्मीदवार को वोट देने वाले मतदाता का नाम गोपनीय रहता है. 

एक एनजीओ (पीयूसीएल)  ने इस भेद-भावः के ख़िलाफ़ अदालत में याचिका दे रखी है. एनजीओ का कहना है कि इस भेद-भावः को दूर करने के लिए कानून में बदलाव लाया जाय. इसके लिए वोटिंग मशीन में एक बटन 'वोट नहीं देना' के लिए लगाया जा सकता है. मामला वर्ष २००४ से अदालत के विचाराधीन है. सरकार का पक्ष इस बारे में नकारात्मक है. उस ने अदालत में इस भेद-भाव को उचित ठहराया है. 

मतदाताओं को अपने इस अधिकार की गोपनीयता सुरक्षित करने के लिए एक जुट होना चाहिए. जिस रफ़्तार से चुनाव में अपराधियों की संख्या बढती जा रही है, मतदाताओं को अपनी हित के लिए संघर्ष करना होगा. इस विषय पर आज के अखबार में एक ख़बर छपी है. उसे पढने के लिए आप इस्केंड फोटो पर क्लिक कर सकते हैं.  


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