मैं दिल्ली में रहता हूँ. दिल्ली में अगले वर्ष चुनाव होंगे. राजनितिक पार्टियाँ अभी से चुनावी मोड में आ गई हैं. मतदाताओं को भी चुनावी मोड में आ जाना चाहिए. ऐसा लग रहा है कि दलित वोट इस चुनाव में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे. दलितों को घेरने की तैयारी शुरू हो चुकी है. मायावती और राहुल की मामा दोनों मैदान में उतर आई हैं. मायावती ख़ुद उतरी हैं मैदान में. राहुल की मामा ने मैदान में उतारा है राहुल को .
जब कोई दलितों के लिए कुछ करता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. दोनों मेरे वोट के हक़दार हैं. पर यह कैसे तय किया जाए कि दोनों में दलितों का ज्यादा हमदर्द कौन है? मेरे विचार में दोनों के सामने एक शर्त रखी जाए. राहुल किसी दलित कन्या से विवाह करे. मायावती अपना सारा धन और जायदाद दलितों में बाँट दे. जो शर्त पूरी करेगा उसे वोट दूँगा. पर यह शर्त चुनाव से पहले पूरी होनी चाहिए.
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