Voters Forum मतदाता मंच
मतदाता मंच पर आप का स्वागत है, दीजिये सकारात्मक वोट - इस बार वोट देश को
Thursday, January 30, 2014
मोदी जी, क्या सच्चाई है और क्या झूठा प्रचार ?
Wednesday, January 29, 2014
Friday, January 24, 2014
क्या कह रहे हैं मोदी ?
मैं भारत के मुसलमानों और दलित सम्प्रदाय के लोगों से कहना चाहता हूँ कि ६५ वर्ष तुमने कांग्रेस और अन्य सेकुलर पार्टियों द्वारा फैलाए गये नफरत के जहर के साथ गुजारे हैं और आज तुम्हारी जो हालत है वह तो तुम जानते ही हो. क्यों न अगले ५ साल तुम मोदी की दोस्ती के साथ गुजारो? ऐसा करके तो देखो. अगर कुछ अच्छा नहीं हुआ तब आज जो है उस से बुरा भी नहीं होगा.
Monday, January 20, 2014
Shri Narendra Modi speech at National Council Meet at Ramlila Maidan
BJP - Good Governance
Our model of good governance ensures that even the tallest leaders and top bureaucrats are answerable to an ordinary citizen, hailing from any part of India. The government believes in operating in complete transparency, with every file and official record open for public scrutiny, except when these may endanger national security. The BJP’s ascendancy is an antidote to whatever has troubled the Indian political system over the last six decades– crony capitalism, feudalism, favouritism and archaic methods of governance. For us, governance is a mission that isn’t complete without proactive involvement of the citizens of India. We strive to provide a clean and efficient government that invites proactive participation and involvement of citizens at every step.
Source - http://www.bjp.org/core-issues/good-governance
Tuesday, January 14, 2014
Sunday, January 12, 2014
Monday, January 6, 2014
आपसी संबंधों का शपथ पत्र
MANIFESTO OF RELATIONSHIP
"I, (name of candidate), a proud citizen of India, declare as under:
That my mission shall be to ‘bring smile on every face’, and for this I shall work, to my best ability, for continual improvement of day-to-day life of Indian people.
That for working to fulfill above aim, ‘being in a position of influence or power’ is not a pre-condition.
That I attach great importance to my relationship with other Indians.
That I believe that development should be sustainable and such development has no meaning if there is no positive relationship between people.
That my relationship with all other Indians shall be on three levels – personal, social and national.
That on personal level the relationship shall be based on the principles of humanity, as I am a human being and so all other Indians.
That on social level the relationship shall be based on the principles of peaceful co-existence, as I am a part of the Great Indian Society and so all other Indians.
That on national level the relationship shall be based on the principles of nationalism, as I am a citizen of Great Indian Nation and so all other Indians.
That my behaviour with all other Indians shall be guided by above principles.
That my religion, my language, my life-style, my food habits etc., shall be my personal traits.
That I shall consider religion, language, life-style, food habits etc., of all other Indians as their personal traits, shall respect them and shall never say or do anything which hurt their feelings.
That all my personal traits shall support and strengthen above three relationships.
That based on above relationships, I shall work for creation of a class-less all-Indian society where there is no injustice, discrimination and exploitation.
Sunday, January 5, 2014
मतदाताओं के प्रति उम्मीदवारों की प्रतिबद्धता
STATEMENT OF COMMITMENT TO VOTERS
I, (name of candidate), make following statement of commitment:
- That I have offered myself to represent the people of (name of constituency) in Lok Sabha as an official candidate of Bhartiya Janta Party.
- That I stand committed to the ‘Politics of Service’ and not ‘Politics of Power’.
- That I believe that in parliamentary democracy people elect their representatives and not their
rulers.
- That I believe that election is not a battle but only a process for electing peoples’ representatives
and should be managed in a transparent manner.
- That I believe that being elected as a representative of people is not an end but only means to
serve the people and the country.
- That I believe that India building is a team activity and not the sole prerogative of a few people or
a party or parties.
- That I have made all declarations as required under law while filing my nomination.
- That I will abide by the code of conduct and any other guidelines made by Election Commission.
- That I attach great importance to my relationship with other Indians, and I have signed the
‘Manifesto of Relationship’.
- That I will work for continual improvement in day-to-day life of all Indian people.
- That I will always be pro-all and anti-none.
- That I will manage country’s affairs in an effective, efficient and transparent manner.
- That for me duties shall have precedence over rights.That I will be pro-active to peoples’
problems and their solutions.
- That I believe that religion does not need politics but politics should be guided by religion.
-That I believe that religion means truth, non-violence, love, compassion, brotherhood, service,
non-discrimination, non-exploitation and respect for each other.
- That I will behave in a disciplined manner in Lok Sabha and elsewhere, and will never create a
situation where people electing me as their representative are embarrassed.
- That I will discourage use of such terms which have given a wrong meaning and purpose to
democratic institutions, like ‘fighting election’, ‘ruling India’, ‘our rule’.
- That I will use only positive slogans.
- That I stand committed to encourage positive vote and discourage negative vote.
I seek your vote only on my merits and not on the de-merits of other candidates.
भाजपा का विजन - प्रतिबद्धता शपथ
लोकसभा चुनाव में मतदाता को भरोसा दिलाने के लिए भाजपा को अपने विजन के बारे में एक प्रतिबद्धता शपथ पर दस्तखत करके सार्वजनिक करना चाहिए. प्रतिबद्धता शपथ का एक नमूना यह हो सकता है:
- BJP should state its vision for ‘Developed India 2020’
Vision for ‘Developed India
2020’
‘"Better life
for all – Smile on every face"
|
- BJP should state its agenda for Future Elections
Agenda for Future
Elections
"Sustainable
Development and Relationship"
|
- BJ should state its action plan to achieve vision and agenda
Action plan
|
- BJP should state its approach for managing
country’s affairs:
Approach
|
फिर सक्रिय हो रहा है मतदाता मंच
यह ब्लाग पिछले लोकसभा चुनावों तक काफी सक्रिय था. उसके बाद यह ब्लॉग कुछ कारणों से उतना सक्रिय नहीं रहा. अब एक बार फिर बैसी ही परिस्थितियाँ पैदा हो गई हैं और इसे फिर से सक्रिय करने की आवश्यकता महसूस हो रही है. जो पोस्ट्स अब उतनी प्रासंगिक नहीं रही उन्हें ब्लाग से हटा रहा हूँ. कुछ पोस्ट को एडिट कर रहा हूँ. वर्ष २००७ की कुछ पोस्ट्स को पुनः पोस्ट कर रहा हूँ क्योंकि वह ६ वर्ष बाद भी उतनी ही प्रासंगिक हैं. कुछ नहीं बदला है.
आपके सहयोग की अपेक्षा है. ब्लाग पर पधारें और अपनी राय दें. चैट करने के लिए एक चैट बाक्स भी उपलभ्ध है, इसका भरपूर प्रयोग करें.
बस एक निवेदन है कि भाषा की शालीनता बनाये रखें.
जो मित्र एडमिन बनना चाहते हैं मुझे फोन करें (9810073862) या ई-मेल करें (scg.rti@gmail.com)
Sunday, November 28, 2010
न उनका सोच बदला न हमारा
भारत के आजाद होने के बाद नेहरु के नेतृत्व में अवसरवादी राजनीतिबाजों ने एक सोच का निर्माण किया. यह सोच था सेवा के नाम पर सत्ता की राजनीति. भारत को एक प्रजातंत्र घोषित किया गया पर तौर-तरीके सब उस राजतन्त्र के ही रखे गए जिस के अंतर्गत भारत पर अंग्रेजों ने लम्बे समय तक शासन किया. कुछ बदला तो सिर्फ इतना कि 'ब्रिटिश कालोनी भारत' का नाम बदल कर 'भारत गणराज्य' कर दिया गया. जिस सोच के अंतर्गत यह किया गया वह सोच आज भी नहीं बदला है. आज भी सेवा के नाम पर सत्ता की राजनीति हो रही है. अंग्रेज राजपरिवार की जगह नेहरु राजपरिवार ने ले ली है. नेहरु गए तो उनकी पुत्री इंदिरा आ गईं. वह गईं तो उनके पुत्र राजीव आ गए. राजीव गए तो उनकी विदेशी पत्नी आ गईं. उनके बाद उनके पुत्र राहुल के लिए राजगद्दी सुरक्षित रखी जा रही है. कुछ दिन पहले प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने यह संकेत भी दे दिया कि जल्दी ही राहुल को पीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया जाएगा.
दिल्ली चुनावों में कांग्रेस को जनता ने नकार दिया था, पर सत्ता के लालच में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आआपा) ने कांग्रेस में जान फूंक दी और उसके समर्थन से अपनी सरकार बना ली. आजादी के बाद किसी पार्टी ने जनता को इतना बड़ा धोखा कभी नहीं दिया था. जो केजरीवाल कांग्रेस को सब से भ्रष्ट पार्टी कहते थे, जिन्होनें शीला जी के खिलाफ ३७० पेजों की चार्ज शीट बनाई थी, संसद मार्ग पुलिस पुलिस स्टेशन में शीला जी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी, अब शीला जी को ईमानदार घोषित कर रहे हैं. कुर्सी के लालच में अब आआपा कांग्रेस की 'एक प्राण दो शरीर' हो गई है.
Thursday, January 29, 2009
अपराधियों को वोट मत दो, सरकार वोट कानून को बदले
Friday, January 16, 2009
लोक सभा चुनाव और प्रतिवद्धता शपथ
Sunday, December 14, 2008
जन-प्रतिनिधि अपना कर्तव्य निभाएं
Wednesday, December 10, 2008
कौन जीता - नेता या जनता?
Thursday, December 4, 2008
राजनीति प्रजा की सेवा के नाम पर धोखा है
Wednesday, November 26, 2008
लोकतंत्र का विकल्प
Monday, November 24, 2008
भारत वर्तमान संकट से कैसे निपटे?
Saturday, November 8, 2008
Thursday, October 30, 2008
आप क्या सोचते हैं?
Wednesday, October 29, 2008
कौन क्या कहता है?
Saturday, August 23, 2008
कुछ परिभाषाएं
पड़ोसी : वह महानुभाव जो आपके मामलों को आपसे ज्यादा समझते हैं।
शादी : यह मालूम करने का तरीका कि आपकी बीबी को कैसा पति पसन्द आता।
विशेषज्ञ : वह आदमी है जो कम से कम चीजों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानता है।
ज्ञानी : वह शख्स जिसे प्रभावी ढंग से, सीधी बात को उलझाना आता है।
सभ्य व्यवहार : मुंह बन्द करके जम्हाई लेना ।
आमदनी : जिसमें रहा न जा सके और जिसके बगैर भी रहा न जा सके।
राजनेता : ऐसा आदमी जो धनवान से धन और गरीबों से वोट इस वादे पर बटोरता है कि वह एक की दूसरे से रक्षा करेगा।
आशावादी : वह शख्स है जो सिगरेट मांगने पहले अपनी दियासलाई जला ले।
नयी साड़ी : जिसे पहनकर स्त्री को उतना ही नशा हो जितना पुरुष को शराब की एक पूरी बोतल पीकर होता है।
मनोवैज्ञानिक : वह व्यक्ति, जो किसी खूबसूरत लड़की के कमरे में दाखिल होने पर उस लड़की के सिवाय बाकी सबको गौर से देखता है।
दूसरी शादी : अनुभव पर आशा की विजय।
कूटनीतिज्ञ : वह व्यक्ति जो किसी स्त्री का जन्मदिन तो याद रखे पर उसकी उम्र कभी नहीं।
Monday, August 18, 2008
क्या इस देश के मुकद्दर में केवल समझौता सिंह ही लिखे हैं?
मित्र ने जवाब दिया, 'उन सारे रास्तों का चक्कर लगाऊँगा जहाँ अक्सर ट्रेफिक जाम में फंसता था. क्या मजा आएगा गुरु खाली सुनसान सड़कों पर ड्राइविंग का!'
'और दूसरा काम?' मैंने पूछा.
मित्र अत्यन्त उत्साह से बोला, 'सारे राष्ट्रिय राजमार्गों का चक्कर लगाऊंगा. जानते हो प्रधान मंत्री को टोल टेक्स माफ़ है'.
'और तीसरा काम?', मैं अधीरता से बोला.
'यह तुम बताओ, तुम्ही ने मुझे प्रधान मंत्री बनाया है', उसने गेंद मेरे कोर्ट में डाल दी.
'अरे भई अपने मंत्रीमंडल में किसे लोगे?' मैंने कहा.
'किसे लूँगा यह बादमें देखेंगे, पहले यह पूछो कि किसे नहीं लूँगा', वह मुस्कुराया.
'अच्छा चलो यही पूछा', मैं बोला.
'यार बड़ी लम्बी लिस्ट है. इन साठ सालों में ऐसे नेताओं की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है जिन्हें में अपने मंत्रिमंडल में किसी हालत में नहीं ले सकता. अच्छे लोग तलाशने में काफ़ी समय लगेगा'.
'फ़िर सरकार कैसे चलेगी?', मैंने चिंता व्यक्त की.
'बाबू चलाएंगे', वह लापरवाही से बोला, 'यह साले मंत्री तो सिर्फ़ माल काटते हैं. असली सरकार तो बाबू चलाते हैं. सुप्रीम कोर्ट भी बाबुओं के सामने नतमस्तक होता है'.
'यह साझा सरकार है, समर्थन देने वाली पार्टियों के मालिक जिसे चाहेंगे मंत्री बनाना पड़ेगा, वरना सरकार एक दिन भी नहीं चलेगी'. मैंने उसे सावधान किया.
'न चले साली सरकार', वह बोला, 'मैं कोई समझौता सिंह हूँ क्या जो इन सालों की सुनूंगा'.
'यह तेरे ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव ले आयेंगे', मैंने उसे डराया.
'ले आने दे सालों को अविश्वास प्रस्ताव. लोक सभा में सारी दुनिया के सामने नंगा कर दूँगा सालों को, और इस्तीफा स्पीकर की मेज पर पटक कर बाहर निकल जाऊंगा. यह कहते हुए वह कमरे से बाहर निकल गया.
'अरे सुन तो', मैं उस के पीछे भागा.
'किसी और को पकड़ ले प्रधान मंत्री बनने के लिए', और वह लो फ्लोर वाली बस में चढ़ गया.
मैंने ठंडी साँस ली, 'क्या इस देश के मुकद्दर में केवल समझौता सिंह ही लिखे हैं?'
Saturday, August 16, 2008
आप क्या इन्हें वोट देंगे?
पत्नी - भाषण दिया या पढ़ कर सुनाया?
पति - एक ही बात है.
पत्नी - नहीं एक बात नहीं है. भाषण में बहुत सी बातें उन के ख़ुद के लिए भी थीं. अच्छा होता वह उन बातों को पढ़ लेते और अमल करते.
पति - मतलब, दूसरों को नसीहत पर ख़ुद मियां फजीहत?
पति - साठ साल के तुष्टिकरण पर पानी फ़िर गया. सुबह तिरंगा और शाम को अलगाववादियों का झंडा. खाया देश का गाया विदेश का.
पत्नी - धर्म की राजनीति करेंगे तो यही होगा.
पति - पर वह तो ख़ुद को धर्म निरपेक्ष कहते हैं. कल दूसरों को नसीहत भी दी उन्होंने कि धर्म पर राजनीति न करें.
पत्नी - चोर भीड़ में शामिल होकर पीछा करने वाला बन जाता है. दूसरों पर ऊँगली उठाता है और चिल्लाता है चोर चोर.
पति - मतलब, धर्म निरपेक्षता के परदे में कम्युनल?
मनमोहन जी की साफ़-सुथरी, हरी-भरी और सुरक्षित दिल्ली में रहने वाली पत्नियाँ आज कल बहुत परेशान हैं. एक ऐसी ही पत्नी ने अपने बाज़ार से सामान लेने जाते वरिष्ट नागरिक पति से कहा -
देखो जी,ब्लू लाइन बस से दूर रहना पता नहीं कब कुचल दे?
सड़क पर मत चलना, पता नहीं कहाँ गड्ढा हो?
फुटपाथ पर मत चलना, पता नहीं कौन दुकानदार ऐतराज कर दे?
बीआरटी कारीडोर की तरफ़ से मत जाना, पता नहीं कब निगल ले?
बिल्डिंग के बगल में मत चलना पता नहीं कब गिर पड़े?
पुलिस दिखे तो रास्ता बदल लेना, पता नहीं किस बात पर धर ले?
कोई वीआइपी आस-पास हो तो मां दुर्गा से सुरक्षा की प्रार्थना करना. में भी करूंगी.
पति घबरा गए और घर वापस आ गए. बोले, 'में नहीं जाता, घर में रहना ठीक है.'
पत्नी बोली, 'पर इस में भी खतरा है, पता नहीं कौन आकर लूट ले और मार दे'.
Sunday, August 10, 2008
यार चिंता क्यों करते हो?
ज्योतिषी को बुलाया गया। उस ने कहा चिंता की कोई बात नहीं है। आज कल यह बीमारी इन जैसे सभी नेताओं को हो रही है। आने वाले चुनाव में टिकट मिलेगा या नहीं, अगर मिल गया तो जीतेंगे या नहीं, यह चिंता सब को खाए जा रही है। लेकिन चिंता करने की जरूरत नहीं है। आख़िर हम ज्योतिषी किस लिए हें? वही पुरानी दवा काम आएगी। हर पार्टी के इन जैसे नेताओं की एक गोपनीय मीटिंग बुलाई जायेगी। उस में फ़ैसला किया जायेगा कि जो जीतेगा वह बाकी सब का ख्याल रखेगा। हर बार ऐसा हुआ है, इस बार भी ऐसा ही होगा। नेता-नेता मौसेरे भाई होते हें। और फ़िर जनता साली किसी को तो चुनेगी। उस के सामने रास्ता ही क्या है?
नेता जी कराहे और बोले कि समस्या इतनी आसन नहीं है जितनी आप समझ रहे हें। पिछली बार जो हारा था उस का मैंने कोई ख्याल नहीं रखा। टिकट तो मुझे मिलेगा नहीं, यह पक्का है। पार्टी मुझ से खुश नहीं है। और जनता, वह तो मुझे मारने को दौड़ रही है। अब जो भी जीतेगा तो वह मेरा ख्याल क्यों रखेगा?
'अब भुगतो', नेता जी की पत्नी चिल्लाईं, 'कितना समझाया मैंने, देखो बेईमानी में बेईमानी मत करो। चोरों के भी कुछ उसूल होते हें। जनता से तो विश्वासघात कर ही रहे हो, अपने साथी नेताओं से तो विश्वासघात मत करो। नेता ही नेता के काम आता है। पर यह माने ही नहीं'।
ज्योतिषी जी ने गर्दन हिलाई, 'भाभी जी ठीक कह रही हें। ऐसा आपने क्यों किया? अब तो मामला उलझ गया।बैसे मैं कोशिश करूंगा कुछ हो जाए'।
उस रात दूसरे नेता का फ़ोन आया। उसने कहा, 'यार चिंता क्यों करते हो, तुम ने राजनीति के सिद्धांतों का पालन नहीं किया पर हम तो करते हें। बस ऐसा करो, कल एक प्रेस काफ्रेंस बुलाओ और मेरे पक्ष में बयान दो। कहो कि तुम्हें टिकट नहीं चाहिए। में तुम्हारा ख्याल रखूंगा'।
नेता जी ने गर्दन हिलाई। और कोई रास्ता भी नहीं था। मरता क्या न करता। किसी ने सच कहा है, जनता को धोखा दे कर तो बच सकते हो, पर दूसरे नेता को धोखा देकर नहीं।
Thursday, August 7, 2008
मैंने तय कर लिया है किसे वोट दूँगा
जानते तो सब थे। मानते भी सब थे। पर अपनी आंखों से देखा नहीं था। इसका फायदा उठाकर यह नेता बच जाते थे। अब जब अपनी आंखों से यह सब लोक सभा में देख लिया तो किसी शक की कोई गुंजाइश ही नहीं रही। यह नेता जो हमारे वोटों पर चुने जाते हें, अपने वोट कम-से-कम तीन करोड़ में बेचते हें. अब यह तो सरासर बेईमानी हुई कि हमारा वोट तो फ्री में ले जाओ और अपने वोट को तीन करोड़ में बेचो। अरे यह हमारा ही तो वोट है जो इन नेताओं को इस लायक बनाता है कि वह अपना वोट बेच सकें।
इस लिए मैंने फ़ैसला किया है कि जो मुझे मेरे वोट की सबसे ज्यादा कीमत देगा मैं अपना वोट उसे ही दूँगा। अमर सिंह की तरह मैं दूसरों के लिए एजेंट का काम भी करूंगा। मेरे अपने घर में ही ६ वोट हें। आप में से जो चाहें उनके लिए भी मैं भाव-ताव कर सकता हूँ।
आप सबसे प्रार्थना है कि मेरे इस संदेश को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं और भारत में प्रजातंत्र को मजबूत करें।
Sunday, August 3, 2008
कुछ टिप्पणियाँ जों कवितायें बन गई
कहाँ है मंहगाई?
मुझे तो आज तक मिलने नहीं आई,
न ही किसी नागरिक ने फोन किया,
कि शहर में मंहगाई है आई,
चुनाव आए तो बहकाने लगे जनता को,
इन लोगों को शर्म भी नहीं आई.
राजनीति में चांदी के जूते नहीं मारे जाते सबको,
अधिकाँश को तो मारे जाते हैं प्रजातंत्र के जूते,
वह भी भिगोकर पानी में,
और उनकी आवाज भी नहीं होती,
मारने वाला राजनेता,
मार खाने वाला आम आदमी,
वह जूते मारें और तुम खाए जाओ,
यह गीता का ज्ञान नहीं है,
गीता कहती है संघर्ष करो,
अन्याय के ख़िलाफ़, जुल्म के ख़िलाफ़,
एहसानफ़रामोशी, विश्वासघात के ख़िलाफ़,
कर्म करो, वह फल देगा, उसका वादा है यह,
पर तुम कर्म तो करो.
छोटो-मोटी चोरी छोड़ो नेता बन जाओ,
एक वोट डालोगे तीन करोड़ मिलेंगे,
मान्यवर कहलाओगे अलग से,
अगर सबको पता भी चल गया तो क्या होगा?
लोक सभा में रिश्वत लेना अपराध नहीं है,
आज पुलिस डंडे मारती है,
कल सलाम करेगी नेता जी को,
आज टू व्हीलर चुराते हो,
कल आगे पीछे होंगी फोर व्हीलर,
भइया मौका है हाथ से मत जाने दो,
जल्दी चुनाव होंगे,
करो एक दो मर्डर,
ले लो एंट्री पोलिटिक्स में.
सरकार जीत गई है विश्वास मत,
एटमी करार लाएगा विजली,
हर घर में, हर गाँव, हर शहर में,
शीला दीक्षित भी खुश,
बिना विजली के परेशान दिल्ली के निवासी भी खुश,
राहुल गाँधी भी खुश,
कलावती भी खुश,
मनमोहन खुश कुर्सी बच गई,
अमर सिंह खुश मुक़दमे वापस,
सोरेन खुश कुर्सी मिल गई,
कितने सारे खुश बन गए करोड़पति,
देश प्रगति के रास्ते पर अग्रसर है,
सब खुश हैं, तुम क्यों नाखुश हो,
सब आगे जा रहे हैं, तुम घिसट रहे हो,
बेबकूफ कहीं के.
Friday, August 1, 2008
क्या मनमोहन सिंह ने वोट डाला था?
दे सकते हैं?
क्या कोई ब्लागर इस बारे में जानकारी दे सकते हैं?
Wednesday, July 23, 2008
बेशर्मी के विश्व रिकार्ड्स
कपूत कर रहे थे शर्मिंदा मां को,
बना रहे थे रिकार्ड पर रिकार्ड,
बेईमानी, अनैतिकता, भ्रष्टाचार, अशुचिता के,
तालियाँ बज रही थीं, वाह-वाह हो रही थी,
अपमानित हो रही थी भारत मां,
अपने ही बेटों द्बारा.
राहुल गाँधी ने सुनाई कहानी एक कलावती की,
जिसका भविष्य सुरक्षित होगा परमाणु करार से,
खूब तालियाँ बजीं, चमचे चिल्लाये,
देश का भविष्य सुरक्षित है,
इस भावी प्रधानमंत्री के हाथों में,
पर कौन है यह कलावती?
बताया एक अखबार ने,
कलावती है एक गरीब विधवा,
सात बेटिओं और दो बेटों की मां,
उधार के भार से कर ली थी आत्महत्या उसके पति ने,
खेती करता था पर किसान नहीं था,
सरकारी परिभाषा ही कुछ ऐसी है,
इस लिए नहीं मिली उसे कोई सहायता,
न ही की उसकी सहायता राहुल गाँधी ने,
न राहुल की पार्टी ने,
न राहुल की पार्टी की आम आदमी की सरकार ने,
बस उसकी कहानी सुना दी,
वह भी अधूरी और निज स्वार्थसिद्धि के लिए.
कलावती की झोपड़ी में बिजली नहीं है,
उसके किराए के खेत में पम्प नहीं है,
क्या करेगी वह परमाणु बिजली का?
कब आएगी यह बिजली उसके गाँव में?
क्या वह जीवित रहेगी तब तक?
झोपड़ी की छत का हर हिस्सा टपकता है वारिश में,
दो वक्त की रोटी बहुत मुश्किल से जुटा पाती है,
यह सब नहीं बताया राहुल ने,
राहुल ने यह भी नहीं बताया,
कलावती ने दो दिन से कुछ नहीं खाया,
पर राहुल ने उसे रोटी नहीं भिजवाई,
बस कहानी सुना दी उसकी लोकसभा में,
राहुल की महानता और ज्यादा महान हो गई.
जो वोटिंग से गायब हो गए,
या जिन्होनें करार के ख़िलाफ़ वोट डाला,
ya जिन्होनें करार के पक्ष में वोट डाला,
क्या उन्होंने परमाणु करार का मसौदा पढ़ा है?
क्या वह उसे समझ पाये हैं?
मौका है, बदल डालो कानून,
सब प्रधानमन्त्री बनना चाहते हैं,
'एमपी' को कर दो 'पीएम',
हो सकते हैं प्रधानमन्त्री एक नहीं एक हज़ार,
लड़ कर खा रहे हैं देश को,
मिल जुल कर खाएं,
जो जीते चुनाव कहलाये पीएम.
सोमनाथ दा ने बनाया रिकार्ड,
बहस के दौरान मुस्कुराते रहने का,
बार बार देखते थे इलेक्ट्रोनिक बोर्ड को,
मंद-मंद मुस्कुराते थे,
डांटते थे सदस्यों को मुस्कुराते हुए,
कहते थे अपनी सीट पर जाओ, मुस्कुराते हुए,
लगता है, विश्वास मत की जीत पर,
सबसे ज्यादा खुशी हुई सोमनाथ दा को.
मनमोहन जी ने विश्वास मत हासिल किया,
पर ज्यादा वधाइयां मिलीं सोनिया जी को,
कुछ देर खरे रहे वह अकेले,
फ़िर बढ़ गए दरवाजे की तरफ़,
किसी ने नहीं देखा उनका जाना,
जीत में अकेलापन,
कैसा लगा होगा यह अनुभव.
Monday, July 21, 2008
जीते कोई भी, आम आदमी तो हार गया पहले ही
Saturday, June 21, 2008
नेताजी वोट मांगने आये
मैंने कहा, "क्यों?".
" हम आपका प्रतिनिधित्व करेंगे", उन्होंने समझाया.
मैंने कहा, "क्यों?".
"क्या मतलब?, मेरी समझ में नहीं आया", वह बोले.
मैंने कहा, "क्यों?".
"अरे आप हर बात का जवाब क्यों में क्यों देते हैं?", उन्होंने पूछा.
"क्योंकि आप बात ही ऐसी करते हैं", मैंने कहा.
"क्यों, क्या ग़लत बात कह दी मैंने?", नेताजी बुरा मानते हुए बोले.
"आपने कोई ग़लत बात नहीं कही. आपने वही कहा जो सारे नेता कहते हैं", मैंने कहा.
"तो फ़िर क्यों, क्यों की रट क्यों लगा रखी है आपने?", नेताजी फ़िर बुरा मानते हुए बोले.
अब बात की गेंद फ़िर मेरे पाले में थी. मुझे लगा कि इस बार बात सिर्फ़ क्यों कहने से नहीं टलेगी. विस्तार में जवाब देना होगा. नेताजी इतनी आसानी से टलने वाले नहीं लगते.
मैंने कहा, "पहले आप बैठिये".
"लीजिये बैठ गया", उन्होंने कहा.
"अब मेरी बात ध्यान से सुनिए", मैंने कहा, "आपने मुझे वोट देने को कहा, मैंने पूछा कि मैं आपको क्यों वोट दूँ, आपने कहा आप मेरा प्रतिनिधित्व करेंगे, मैंने कहा आप मेरा प्रतिनिधित्व क्यों करेंगे, फ़िर आपने कहा कि आप नहीं समझे, मैंने पूछा क्यों नहीं समझे, कृपया बताइये कि अब तो आप समझ गए ना?".
"क्या मैं एक ग्लास पानी पी सकता हूँ?", उन्होंने परेशानी से कहा.
मैंने उन्हें एक ग्लास पानी दिया. उन्होंने पानी पिया, रुमाल से माथा पोंछा और बोले, "अच्छा अब में चलता हूँ".
"अरे आप तो इतनी जल्दी घबरा गए, मैं तो आपसे एक घंटा बात करना चाहता था", मैंने कहा.
"नहीं आज के लिए इतना काफ़ी है, पिछले तीन चुनावों में किसी ने ऐसे सवाल नहीं पूछे, हम कहते थे हमें वोट दीजिये और लोग कहते थे जरूर देंगे, पर अब तो लगता है लोग बदल गए हैं", बोलते-बोलते वह उठे और तेजी से निकल गए.
"यह क्या किया आपने?", मेरी पत्नी ने पूछा, "किसी न किसी को तो वोट देंगे ही, कह देते आपको देंगे, बेचारे खुश हो जाते".
"नहीं, मैं उन्हें खुश नहीं करना चाहता, मैं उन्हें चिंतित करना चाहता हूँ, मैं उन्हें यह एहसास दिलाना चाहता हूँ कि वोट अब इतनी आसानी से नहीं मिलेगा, कुछ काम करना होगा उस के लिए", मैंने पत्नी को समझाया.
"आप की बातें आप ही जानो, मैं रसोई में जाती हूँ, बहुत काम पड़ा है", और वह भी चल दीं.
मैं सोचता रहा. मुझे लगा इस बार चुनाव की शुरुआत अच्छी हुई है.
Saturday, June 14, 2008
नेताजी उवाच
वह हमने किया,
जो कुछ बुरा हुआ,
वह किया अधिकारियों ने",
यह सीधी बात नहीं समझती जनता,
ख़ुद भी होती है परेशान,
हमें भी करती है परेशान.
__________________________
कुछ मत देखो,
कुछ मत सुनो,
कुछ मत कहो,
बस हमें वोट देते रहो,
भूल गए गाँधी जी ने क्या कहा था?
बेचती है पानी,
अगली चीज बेचेगी सरकार,
हवा, सूरज की धूप या फूलों की खुशबू।
___________________________
हमारी सरकार मुफ्त बाँटती है नफरत,
धर्म, भाषा, जाति, प्रदेश,
फैलाओ इसे और,
सरकार के काम में हाथ बटाओ।
Thursday, May 29, 2008
यह कौन है वैश्य बिरादरी का ठेकेदार?
अब बदले में यह बिका नेता पार्टी को क्या देगा? उस ने मायावती से बायदा किया है कि वह वैश्य बिरादरी के सारे वोट उन्हें दिलवाएगा. उसने मायावती को अगला प्रधान मंत्री और देश का रक्षक कर्णधार भी कहा है. भारतीय राजनीति पर एक कलंक होने के साथ-साथ यह व्यक्ति वैश्य बिरादरी पर भी कलंक है. किस ने अधिकार दिया इसे वैश्य बिरादरी के वोटों पर? है कौन यह व्यक्ति? मैं एक वैश्य हूँ, मैं इसे नहीं जानता, मैं ऐसे किसी व्यक्ति को वैश्य ही नहीं मानता. यह तो बिकाऊ माल है, जिन्हें जो मर्जी खरीद ले. आज कोई और पार्टी इस से अच्छी कीमत दे दे तो यह उस के हाथ बिक जायेगा, और उसके मालिक को अगला प्रधान मंत्री घोषित कर देगा.
वैश्य बिरादरी को चाहिए कि इसे और इस जैसे सभी बिके हुए राजनीतिबाजों को बिरादरी से बाहर निकाल दे. हुक्का पानी बंद होना चाहिए ऐसे घटिया लोगों का.
Monday, May 19, 2008
कमाल है, यह कुछ भी करें सब माफ़ है!
लिस्ट में चार ब्राह्मण, चार पंजाबी, एक वैश्य, दो मुसलमान, तीन गुर्जर, दो जाट शामिल हें। हर उम्मीदवार के नाम के आगे उसकी जाति का नाम लिखा है।
जाति की राजनीति का इस से बढ़कर नंगापन क्या हो सकता है? कोई दूसरा अगर जाति की और इंगित कर देगा तो बबाल मच जाएगा. सरकार और पुलिस सब हरकत में आ जायेंगे. राजनीतिबाज चीख चीख कर आसमान सर पर उठा लेंगे. ख़ुद यह पार्टियां कुछ भी करें. हर उम्मीदवार के नाम के आगे उसकी जति का उल्लेख करना क्या चुनावी कानून का उल्लंघन नहीं है? क्या ऐसा करके जति के आधार पर वोट नहीं मांगे जा रहे? पर कौन करेगा कार्यवाही इस पर? सभी तो एक थैली के चट्टे-बट्टे हैं.
Sunday, May 18, 2008
जो शर्त पूरी करेगा उसे वोट दूँगा
जब कोई दलितों के लिए कुछ करता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. दोनों मेरे वोट के हक़दार हैं. पर यह कैसे तय किया जाए कि दोनों में दलितों का ज्यादा हमदर्द कौन है? मेरे विचार में दोनों के सामने एक शर्त रखी जाए. राहुल किसी दलित कन्या से विवाह करे. मायावती अपना सारा धन और जायदाद दलितों में बाँट दे. जो शर्त पूरी करेगा उसे वोट दूँगा. पर यह शर्त चुनाव से पहले पूरी होनी चाहिए.
Saturday, April 5, 2008
सत्ता का नशा
कमर तोड़ दी है महंगाई ने,
पार्टी हाई कमान घबरा गई है,
विरोधी पक्ष खूंखार हो रहा है,
पर जब उनसे पूंछा गया,
तो नमक छिड़क दिया उन्होंने जख्मों पर,
तरक्की करती अर्थव्यवस्था मैं,
कीमतें तो बढ़ेंगी ही,
और कोई खास तो नहीं बढ़ी हैं कीमतें,
व्यर्थ ही चिल्ला रहे हैं.
लगता है सत्ता का नशा,
सर चढ़ गया है.
कुछ दिन पहले जो तारीफ़ हुई थी,
प्रधान मंत्री के मुखारविंद से,
उसने और सर चढ़ा दिया लगता है,
प्याज पर बदल गई थी सरकार,
यहाँ तो हर चीज पहुँच के बाहर हो गई है,
आम जनता का आक्रोश,
और उन का घमंड,
देखें कौन जीतता है?
Thursday, April 3, 2008
Negative thought process
उन्हें बुरा लग गया,
बुरा तो शायद सब को लगता,
पर सब मुख्य मंत्री नहीं हैं,
आम आदमी का बुरा लगना,
कोई खास बात नहीं है भारत मैं,
बुरा लगना तो अधिकार है,
खास आदमी का,
यहाँ वह चूक गए और गलती कर बैठे,
कह दिया कुछ खासमखास को,
पकड़े गए, माफ़ी मांगी,
बेटी भी कहा उन को,
पर मुसीबत मैं पड़ गए,
बहुत कुछ खोना पड़ेगा.
क्यों कह देते हैं लोग ऐसी बातें?
क्या हासिल होता है इस से?
किसी को कुछ कह कर सुख मिलता है क्या?
यदि हाँ, तब तो यह नकारात्मक सोच है.
Saturday, March 29, 2008
Peoples' representatives embarass people
विधान सभा ने चुनाव आयुक्त को जेल भेज दिया,
चुनाव आयुक्त एक संबैधानिक पद है,
इस का कोई विचार नहीं,
अपने पद की गरिमा का ध्यान नहीं,
दूसरे पद की गरिमा भी स्वीकार नहीं,
कौन शर्मिंदा हुआ?
जनता या जन-प्रतिनिधि?
जेल से छूटकर वह अदालत चले गए,
विधान सभा ने एक प्रस्ताव पास कर दिया,
अदालत का कोई नोटिस स्वीकार्य नहीं,
अदालत एक संबैधानिक संस्था है,
इस का भी कोई विचार नहीं,
उसकी गरिमा भी स्वीकार नहीं,
कौन शर्मिंदा हुआ?
जनता या जन-प्रतिनिधि?
विधान सभा एक संबैधानिक संस्था है,
जन-प्रतिनिधि एक संबैधानिक पद,
अपनी मर्यादा का आदर नहीं,
दूसरों की मर्यादा का आदर नहीं,
कोई संयम नहीं, कोई अनुशासन नहीं,
जन-प्रतिनिधिओं का यह व्यवहार,
करता है सिर्फ़ शर्मिंदा जनता को,
जिन्होनें चुना है उन्हें.
Wednesday, January 24, 2007
Election candidates manifesto
STATEMENT OF COMMITMENT
I, (name of candidate), make following statement of commitment:
- That I have offered myself to represent the people of (name of constituency) in Lok Sabha as an official candidate of (name of political party) OR as an independent candidate.
- That I stand committed to the ‘Politics of Service’ and not ‘Politics of Power’.
- That I believe that in parliamentary democracy people elect their representatives and not their rulers.
- That I believe that election is not a battle but only a process for electing peoples’ representatives and should be managed in a transparent manner.
- That I believe that being elected as a representative of people is not an end but only means to serve the people and the country.
- That I believe that India building is a team activity and not the sole prerogative of a few people or a party or parties.
- That I have made all declarations as required under law while filing my nomination.
- That I will abide by the code of conduct and any other guidelines made by Election Commission.
- That I attach great importance to my relationship with other Indians, and I have signed the ‘Manifesto of Relationship’.
- That I will work for continual improvement in day-to-day life of all Indian people.
- That I will always be pro-all and anti-none.
- That I will manage country’s affairs in an effective, efficient and transparent manner.
- That for me duties shall have precedence over rights.That I will be pro-active to peoples’ problems and their solutions.
- That I believe that religion does not need politics but politics should be guided by religion.
- That I believe that religion means truth, non-violence, love, compassion, brotherhood, service, non-discrimination, non-exploitation and respect for each other.
- That I will behave in a disciplined manner in Lok Sabha and elsewhere, and will never create a situation where people electing me as their representative are embarrassed.
- That I will discourage use of such terms which have given a wrong meaning and purpose to democratic institutions, like ‘fighting election’, ‘ruling India’, ‘our rule’.
- That I will use only positive slogans (enclosed).
- That I stand committed to encourage positive vote and discourage negative vote.
- I seek your vote only on my merits and not on the de-merits of other candidates.
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MANIFESTO OF RELATIONSHIP
"I, (name of candidate), a proud citizen of India, declare as under:
- That my mission shall be to ‘bring smile on every face’, and for this I shall work, to my best ability, for continual improvement of day-to-day life of Indian people.
- That for working to fulfill above aim, ‘being in a position of influence or power’ is not a pre-condition.
- That I attach great importance to my relationship with other Indians.
- That I believe that development should be sustainable and such development has no meaning if there is no positive relationship between people.
- That my relationship with all other Indians shall be on three levels – personal, social and national.
- That on personal level the relationship shall be based on the principles of humanity, as I am a human being and so all other Indians.
- That on social level the relationship shall be based on the principles of peaceful co-existence, as I am a part of the Great Indian Society and so all other Indians.
- That on national level the relationship shall be based on the principles of nationalism, as I am a citizen of Great Indian Nation and so all other Indians.
- That my behaviour with all other Indians shall be guided by above principles.
- That my religion, my language, my life-style, my food habits etc., shall be my personal traits.
- That I shall consider religion, language, life-style, food habits etc., of all other Indians as their personal traits, shall respect them and shall never say or do anything which hurt their feelings.
- That all my personal traits shall support and strengthen above three relationships.
- That based on above relationships, I shall work for creation of a class-less all-Indian society where there is no injustice, discrimination and exploitation.
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SOME ELECTION CAMPAIGN SLOGANS
I, (name of candidate), a candidate from (name of constituency) promise that I will use only such slogans, which do not hurt feelings of any one. Some such slogans are:
- "Come & Join Us for Making India A Developed Nation by 2020"
- "You are as Indian as I"
- "Cast a Positive Vote – On Merits of your Choice & not on De-merits of Others"
- "We are Pro-All and Anti-None"
- " Together we manage country’s affairs"
- "We are your representatives, not rulers"
- "We have only one Vote-Bank, All Indian Citizens"
- "Our Vision – Better Life for All"
- "Our Mission - Bring Smile on Every Face"
- "Our approach – Transparent and Friendly"
- "Our Message - Smile, It Connects People"
- Our promise – No Walk-Outs in Next Lok Sabha"
- "We have no arguments with others’ view-points, it is their way of managing country’s affairs"
- "Fruits of sustainable development – equal share for all"
Signature ______________
Name of candidate ____________________
Poliical party/Independent _________________________
Phone _______________
Date __________________
Commitment of Indian Political Paties to Voters
- All political paties should:
- State its vision for ‘Developed India 2020’:
- State its agenda for Future Elections :
- State its action plan to achieve vision and agenda :
Vision for ‘Developed India 2020’ ‘"Better life for all – Smile on every face" |
Agenda for Future Elections "Sustainable Development and Relationship" |
Action plan
|
- State its approach for managing country’s affairs:
Approach
|
Petition to all Indian political parties
I have created folloing on-line petition:
"To: All political parties of IndiaElections should be used as ‘Change Agents’ for progress and not as ‘Changeovers’ from ‘rule-by-one-group’ to ‘rule-by-another-group’. But political parties have always used it as a tool to rule. Election, which should have been conducted as a process for electing peoples’ representatives in a transparent and decent manner, has been converted in to a war. Political parties are indulging in forming opportunistic alliances to capture votes at any cost and then indulge in anti-people and vulgar power games.
‘Better Life For all’, a NGO, committed to continual improvement of day-to-day life of Indian People and for that purpose providing an e-platform on its portal www.betterlife4all.com, has taken an initiative to form a 'Voters Forum' as a watch-dog for pro-people programmes and policies and any need-based alliances of political parties.
'Voters Forum' has a blog (http://www.votersforum.blogspot.com)and no other structures, no groups, no formal membership and no manipulations. It is an alliance of peoples’ vision, their agenda for proper governance of the nation, their ideas of ‘Better-life’, their resolve to protect their right to cast a positive vote in elections, their right to be represented and not to be ruled. The purpose of the forum is to create a synergic thought movement where every voter will ask parties and candidates to sign a ‘Statement of Commitment’ and a ‘Manifesto of Relationship’ to protect interests of the people.
'Voters Forum' has prepared a ‘Statement of Commitment’ to be signed by all political parties and candidates who wish to represent the people in future elections. It has also prepared a ‘Manifesto of Relationship’ between any two Indians, which should also be signed by all candidates, if they want to be elected as a representative of the people.
President’s vision for Indian Nation gives the people a ray of hope. But with every passing day this ray of hope is loosing its brightness. It is unfortunate that so far no political party has clearly stated its vision, action plan and approaches for the "Developed India 2020" and how fast it can realize these missions in quality and quantity. The only vision Indian political parties seem to have to somehow capture power, and for this they are stooping to such depths that their behaviour has become vulgar and insulting to Indian voters.
To protect voters’ right to be represented by honest, sincere and committed people this petition has been prepared to be submitted to all those who have a stake in coming elections - Political alliance which has been managing the affairs of the country for last many years, Political alliances who wish to manage the affairs of the country for next many years, Election commission, Media and Voters.
Each political party should:
- State its vision for ‘Developed India 2020’:
- State its agenda for future elections:
- State its action plan to achieve vision and agenda:
- State its approach for managing country’s affairs:
- Sign Statement of commitment for above;
- Sign Manifesto of Relationship with all Indians;
- Use only positive slogans"Please visit the link and sign the petition - http://www.petitiononline.com/Plusvote/petition.html
Sunday, January 21, 2007
Why we elect our representatives?
Also when we elect someone, do we take into account, which religion he belongs to, what language he speaks, what clothes he wears, what food he eats? My answer is 'No' to all. These are peoples' personal traits. We expect that these personal traits will help our representative in better governance and not come in its way.
For us, the end result is most important. Our Representative should work in the interest of the people, society and nation. He should take all the people with him. He might have belonged to a particular party or group but after getting elected he represents all. He might face different interpretations of peoples' needs, law of the land and other do's & don'ts, but I believe if he has honest intentions to serve the people he will not find any problem with different interpretations. Honest debate is essential to honest governance, and he should participate in the debate in an honest, sincere and graceful manner. Any concession needed should be seen and given by him in the form of empowerment. It should not be given for covering an handicap, but should be given to convert the handicap in to strength.
(I have used the word 'him', but it includes 'her' also)
Rights of a voter
Right to vote means that every voter has a right to elect a representative of his or her choice. This right is absolute and should not be curtailed or denied by anybody under any circumstances. But policy of reservation has curtailed this right. The constituency where I vote has been reserved for SC/ST/OBC. Now I have to choose my representative from these communities only. There are good people belonging to non-reserved community but they can not contest the election and I can not exercise my vote in their favour.
To exercise my right to vote it is essential that my name should be in the voters list. Here again, due to inefficiency of EC officials and manipulation by politicians names of a large number of voters are made to disappear from voters list. Then bogus voting is yet another factor which violates my right to vote. Forcing not to vote by creating fear of violence in elections is yet another factor.
The Government and EC have a duty to ensure that people exercise their right to vote without any fear and in a free environment.
Saturday, January 20, 2007
Duties of a voter
The second duty of a voter is to cast a positive vote. A voter should vote for a person on his or her merits. Voting for someone because he or she belongs to a particular religion, caste, place, language etc is a negative vote. Voting for someone simply because a voter is not happy with other candidates is also a negative vote. I prefer making my vote invalid rather than casting a negative vote.
The third duty of a voter is to express appreciation when the elected representative performs the job well. But the voter should also express dissatisfaction when the elected representative does not perform the job well. In case of undignified conduct of the elected representative the voter should express personal indignation and ask him to tender an apology. The voter should clearly tell the elected representative that his action should not embarrass the voters.